16 महीने बाद पुजारी बाहर

                     जोशी गए, मदन आ गए

      मुख्यमन्त्री - भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौर 

                      16 महीने बाद पुजारी बाहर

               पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी पी जोशी

                  13 राज्यों से राज्यपाल बाहर


             पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया

                 मोदी ने मदन को दिया प्रसाद

                   वजह कहीं आक्या तो नहीं ॽ


    हरिभाऊ कृष्णराव बागड़े राजस्थान के नए राज्यपाल

             हमें वे मोहरे नापसंद हैं जो पिट गए,

           हम जीतने वाले शातिरों के तलबगार हैं।


               सिक्किम के राज्यपाल ओ पी माथुर 

 भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सीपी जोशी, पीएम मोदी जी की पूजा करने वाले एक मात्र सांसद। दो साल पहले उन्होंने भरी लोक-सभा में यही कहा था। परिणामस्वरूप बतौर पुरस्कार पीएम मोदी ने उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया और उसके बाद बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष। और अब सीपी के स्थान पर मदन राठौड़ को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बना दिया। मदन राठौड़ को यह पुरस्कार उस बात का मिला जब पिछ्ले साल विधानसभा चुनाव में मदन राठौड़ को बीजेपी का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बग़ावत कर दी थी और निर्दलीय उम्मीदवार बन कर नामांकन पत्र दाखिल करने ही वाले थे कि पीएम मोदी का उनके पास फोन आया और वे रूक गए। उन्होंने मोदी जी की बात मान ली, बदले में मोदी जी ने उन्हें अब तत्काल बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बना दिया। 70 वर्षीय मदन राठौड़ 2003 और 2013 में सुमेरपुर से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

+ लेकिन यहां सवाल उठता है कि सीपी जोशी का अब और अचानक अचानक इस्तीफा क्यों ॽ कहीं न कहीं गड़बड़ है। कहीं ऐसा तो नहीं कि भगवान ( मोदी जी ) चित्तौड़गढ़ में बीजेपी की हार से नाराज़ हो गए हों और सीपी को अब उसी के परिणामस्वरूप इस्तीफा देना पड़ गया। यकीनी तौर पर यह पहले से ही तय था। लेकिन इतनी जल्दी होगा यह उम्मीद नहीं थी। लेकिन यह भीतर की बात है और जो भी बात है धीरे-धीरे बाहर आ जाएगी। सीपी मात्र 16 महीने ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे और दो दिन पहले उन्हें हटा दिया गया। जबकि उनका कार्यकाल 2026 तक था। राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा है कि ऐसा क्या हो गया जो सीपी को खड़े-खड़े निपटा दिया गया। स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार से केन्द्र विचलित हो गया और बस तभी से सीपी को निपटाने की चौपड़ बिछ चुकी थी और जिसकी प्रस्तावना सीपी द्वारा ही प्रस्तुत कराई गई। चर्चा यह भी है कि भजन लाल सरकार नहीं चाहती थी कि सीपी का इस्तीफा मंजूर हो। लेकिन हो गया। वह भी ऐसे जैसे जे पी नड्डा इसी इंतजार में बैठे थे कि सीपी इस्तीफा दें और वे कुबूल कर लें और मदन राठौड़ को सीपी की कमान सौंप दें। हो न हो इसके पीछे आक्या को बीजेपी द्वारा बर्दाश्त नहीं कर पाना है।

 + चित्तौड़गढ़ के विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या वह हस्ती हैं जिन्होंने सीपी जोशी को उसी के चित्तौड़गढ़ में पटखनी दी। जिन्होंने चित्तौड़गढ़ में सीपी जोशी की प्रतिष्ठा को तहस-नहस कर दिया। चन्द्रभान सिंह आक्या, एक कुशल राजनीतिज्ञ। विधानसभा चुनाव में आक्या को हराने के लिए सीपी जोशी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया था लेकिन उसे नहीं हरा सके। भाजपा के समर्थन में उन्हें बिठाने के भी सारे प्रयास भी कर लिए लेकिन वे भी विफल रहे। और भी तमाम तथाकथित हथकंडे आजमा लिये लेकिन वहां भी सफलता नहीं मिली। पूरी ताकत लगा देने के बावजूद वे आक्या के विजयी रथ को नहीं रोक पाए। क्योंकि आक्या के साथ चित्तौड़गढ़ के वोटर्स का सैलाब था और उसी के दम पर आक्या ने भाजपा के उम्मीदवार तथा भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपतसिंह रिजवी और कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह जो कि अशोक गहलोत के खासमखास थे को भी हरा दिया। आक्या भाजपा से बग़ावत कर निर्दलीय रूप से मैदान में उतरे थे। आक्या मतलब चित्तौड़गढ़ का स्वाभिमान। उनके साथ चित्तौड़गढ़ की पूरी जनता थी। तब चित्तौड़गढ़ विजय पीएम मोदी की मूंछ का सवाल बन गई थी। लेकिन सीपी जोशी पूरे हाथ-पैर मारने के बाद भी विजय पताका नहीं फहरा सके।

+ पीएम मोदी का एक सिद्धांत है कि जो भी चुनाव हार गया, अथवा जिसकी वजह से पार्टी चुनाव हार गई, उसे उन्होंने तत्काल किनारे कर दिया और उसकी जगह नए मोहरे को दे दी। हाल ही में स्मृति ईरानी इसका जीता-जागता प्रमाण है। उसे सत्ता से यूं निकाल कर फेंक दिया जैसे दूध में से मक्खी। अब वे किसी भी अख़बार में सिंगल कालम की ख़बर भी नहीं रहीं। जो कभी लीड ख़बर हुआ करती थीं। विधानसभा चुनाव में सतीश पूनिया और राजेन्द्र राठौड़ भी भाजपा के ऐसे लीडर थे जो चुनाव हार गए। परिणामस्वरूप मोदी जी ने उन्हें भी किनारे कर दिया। ठीक ऐसे ही किरोड़ी लाल मीणा के दम भरने के बावजूद पार्टी चुनाव हार गई। पीएम ने उन्हें भी अंगूठा दिखा दिया। अब वे घर के रहे न घाट के। ऐसे ही सीपी जोशी पर चित्तौड़गढ़ फतह का दारोमदार था लेकिन उनकी वजह से भाजपा चुनाव हार गई। ऐसे में संभव है कि जोशी को धीरे-धीरे किनारे करने की रूपरेखा पहले ही तैयार कर ली गई हो और उसी के परिणामस्वरूप सीपी जोशी ने अब स्वतः इस्तीफा दिया। वर्ना यह संभव नहीं कि सीपी जोशी पावरफुल पोजिशन में रहते हुए यूं अचानक पलक झपकते इस्तीफा दे दें। यद्यपि इसके दो दिन पहले उन्होंने ही इस्तीफे की पेशकश की थी। और बाद में जे पी नड्डा ने उनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार भी कर लिया। यह अचानक जो कुछ घटा है उसकी परतें धीरे-धीरे खुलेंगी। जो वजह बताई गई है वह हरगिज़ नहीं है। स्वाभाविक सी बात है कि खड़े-खड़े कोई यूं इस्तीफा नहीं देता। कोई कारण या निर्देश जरूर है। क्योंकि सीपी जोशी के इस्तीफा देने के तत्काल बाद उनकी जगह एकदम से मदन सिंह राठौड़ को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष घोषित भी कर दिया गया। सीएम भजन लाल शर्मा ने उन्हें मिठाई भी खिला दी। जैसे कि यह पहले से ही तैयारी थी। यहां दाल में काला है जो धीरे-धीरे बाहर आएगा। और अब देखिये मोदी जी ने रातों-रात देश के अनेक राज्यपाल भी बदल दिए।जैसे कि एकाएक हरिभाऊ किसनराव बागड़े को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त कर दिया तो असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को पंजाब का राज्यपाल बना दिया। साथ ही उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रशासक भी नियुक्त कर दिया। विष्णु देव वर्मा को तेलंगाना का राज्यपाल, ओम प्रकाश माथुर को सिक्किम का राज्यपाल, संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल, रामेन डेका को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल और सी एच विजय शंकर को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त कर दिया। मोदी सरकार का यह सिद्धांत है कि मोहरे बदलो और चाल चलो।

👉रात को शहर सो गया, सुबह उठा 

👉तो कोई और गद्दानशीं हो गया।

(  ब्लागर श्री अशोक शर्मा - 7726800355)

 लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।

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