कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की बढी मुश्किलें
कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की बढी मुश्किलें
मंत्री ने जिस स्कूल से 10वीं एवं 12वीं कक्षा उत्तीर्ण का एफिडेविट चुनाव आयोग को दिया वह निकला झूठा ।
स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया इस नाम का कोई भी इस विद्यालय में नहीं पढ़ा।
जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव के बीच एक बड़ी खबर ने राजस्थान की राजनीति को हिला कर रख दिया है। राजस्थान सरकार में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया की अपनी शिक्षा को लेकर चुनाव आयोग को झूठा शपथ पत्र देने का मामला आया है । कटारिया ने विधानसभा चुनाव 2003 में आमेर सीट से भरे एफिडेविट खुद को रायबरेली (यूपी ) के इंटरमीडिएट (12वीं ) कॉलेज से इंटरमीडिएट पास बताया था ।
जबकि 2008 के विधानसभा चुनाव में झोटवाड़ा सीट से भरे एफिडेविट में खुद को 10वीं पास बताया था । कटारिया ने चार चुनाव में अलग-अलग सूचना चुनाव आयोग को बताई थी ।
रायबरेली के जी इंटरमीडिएट कॉलेज से लालचंद कटारिया ने दसवीं और 12वीं पास करने का दावा किया है । उसे कॉलेज ने उनके यहां लालचंद कटारिया नाम का स्टूडेंट होने से ही इनकार कर दिया । इसके बाद लालचंद कटारिया सवालों के घेरे में आ गए हैं।
चार चुनाव में लालचंद कटारिया द्वारा चुनाव आयोग को दिए ब्यूरो : -
↪️ 1. लालचंद कटारिया ने 2003 का विधानसभा चुनाव आमेर से लड़ा था। उस वक्त उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता के कॉलम में श्री नर्मदेश्वर इंटर कॉलेज रायबरेली से 1990 में इंटरमीडिएट ( 12वीं ) परीक्षा पास लिखा ।
↪️ 2. 2008 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर झोटवाड़ा से चुनाव लड़ा था तब कटारिया ने अपनी शैक्षिक योग्यता श्री नर्मदेश्वर इंटरमीडिएट कॉलेज रायबरेली से 1986 में हाई स्कूल ( 10वीं ) पास बताई थी ।
↪️ 3. 2009 में जयपुर ग्रामीण से लोकसभा चुनाव में पेश एफिडेविट में भी कटारिया ने शैक्षणिक योग्यता हाई स्कूल (10वीं ) पास लिखा था ।
↪️ 4. लालचंद कटारिया ने 2018 का चुनाव झोटवाड़ा से लड़ा था । जिसमें कटारिया ने दिए एफिडेविट में शैक्षणिक योग्यता के कॉलम में बदलाव करते हुए इंटरमीडिएट ( 12वीं ) पास लिखा ।
मंत्री लालचंद कटारिया शिक्षा से जुड़े झूठ एफिडेविट का मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया है । कुछ लोगों ने चुनाव आयोग को दस्तावेज भेजे हैं । जिम झूठा शपथ देने के मामले में सख्त एक्शन लेने की मांग की गई है । चुनाव आयोग के अलावा कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी दस्तावेज भेज कर सख्त एक्शन लेने की मांग की गई है ।
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