ऐसे दोस्त के रहते कोरोना भला मेरा क्या बिगाड़ लेगा।
नोएडा। देशभर में कोरोना वायरस की वजह से हाहाकार मचा हुआ है. इस दौरान कोरोना और आईसीयू बेड्स के साथ ऑक्सीजन का संकट बढ़ता जा रहा है. यही नहीं, कई खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि कोरोना मरीज को अपने ही अस्पताल के बाहर छोड़कर गायब हो रहे हैं, तो कोई कोरोना से जान गंवाने वाले का शव लेने से इंकार कर रहा है. इस बीच दोस्त की जान बचाने के लिए बोकारो से 1400 किलोमीटर का सफर कार तय कर ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर नोएडा पहुंचने वाले पेशे से शिक्षक देवेंद्र कुमार राय की जमकर चर्चा हो रही है।
दरअसल बोकारो में रहने वाले देवेंद्र पेशे से शिक्षक हैं, तो नोएडा में रहने वाले उनके दोस्त राजन अग्रवाल दिल्ली की एक आइटी कंपनी में काम करते हैं. इस समय राजन कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं और उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी।
बोकारो में 10 हजार रुपये में मिला ऑक्सीजन सिलेंडर
इस बीच बोकारो में रहने वाले देवेंद्र को दोस्त की जान को खतरा होने की बात पता चली तो वह ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था में जुट गए. इस दौरान उन्होंने बोकारो में कई प्लांट और सप्लायर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन बिना खाली सिलेंडर के कोई भी ऑक्सीजन देने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि इसके बाद भी देवेंद्र ने हिम्मत नहीं हारी और फिर उनका प्रयास रंग लाया. इसके बाद एक अन्य मित्र की मदद से बियाडा स्थित झारखंड इस्पात ऑक्सीजन प्लांट के संचालक से संपर्क कर उन्हें परेशानी बताई तो वह तैयार हो गया, लेकिन उसने ऑक्सीजन सिलेंडर की सिक्योरिटी मनी जमा करने की शर्त रखी. इसके बाद देवेंद्र ने जंबो सिलेंडर के लिए 10 हजार रुपये दिए, जिसमें 400 रुपये ऑक्सीजन की कीमत और 9600 रुपये सिलिंडर की सिक्योरिटी मनी थी।
ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने के बाद...
ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने के बाद देवेंद्र खुद रविवार सुबह अपनी कार से नोएडा के लिए निकल पड़े और करीब 15 घंटे में पहुंच गए. हालांकि इस दौरान राज्यों के बॉर्डर पर उनसे पुलिस ने पूछताछ भी की, लेकिन दोस्त की जान बचाने की बात ने उन्हें रुकने नहीं दिया।
ऐसे दोस्त के रहते कोरोना भला मेरा क्या बिगाड़ेगा...
यही नहीं, देवेंद्र ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि बाकोरा से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर मैं और मेरा दोस्त नोएडा के लिए निकले तो कार में पेट्रोल भरवाने के लिए कहीं नहीं रुके। इसके बाद जब राजन के घर पहुंचे तो दोनों लोग उसे सिलेंडर को उठाकर चौथी मंजिल पर पहुंचे. हालांकि इससे पहले जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगा हुआ था वो दस मिनट पहले ही खत्म हुआ था. यही नहीं, जब हम सिलेंडर लेकर घर पहुंचे, तो राजन की आंखें भर आईं थी। इसके बाद उन्होंने कहा कि ऐसे दोस्त के रहते कोरोना भला मेरा क्या बिगाड़ लेगा। (news18.com)
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