देश में विलुप्त होती लोक कलाओं को समाज में मंच किया प्रदान

 देश  में विलुप्त होती लोक कलाओं  को समाज में मंच  किया प्रदान 



जयपुर । कोविड 19 के चलते मार्च 20 से ये गतिविधि पूर्णतः बंद हो गई थी, इधर सभी प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियों के बंद हो जाने से लोक कलाकारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में भारती विद्या भवन एव इंफोसिस फाउंडेशन ने कलाकारों को संबल देने की जिम्मेदारी संभाली है। संस्था सचिव राजेन्द्र सिंह पायल के अनुसार,अन लोक की एडवाइजरी का पालन करते हुए,नियमो के अनुरूप,कलाकारों के छोटे दलों की , बिना दर्शकों के प्रस्तुति को रिकॉर्ड किया जा कर सोशल मीडिया द्वारा उसका विश्वव्यापी प्रदर्शन किया जाना  है ।


इसी क्रम में 67 वीं कड़ी में राजस्थान के लोक गीत व नृत्य से दर्शकों को रूबरू करवाया जा रहा है। लोक कलाकार ओम प्रकाश राणा व उनके दल के सदस्यों,  अमित राणा,अक्षत,राधेश्याम ,लक्की राणा,रीना,विमला व गंगा ने गणेश वंदना से कार्यक्रम प्रारम्भ किया। उसके बाद चरी नृत्य में नायिका नायक से अपने लिए एक एक गहने की मांग करती है, तथा झिरमिर झीरमिर गीत में राजस्थान के लोक अंचल का श्रृंगार स्टेज पर साकार होता हुआ प्रतीत होता है।
 अमित राणा ने दमादम मस्त कलंदर को अपनी दमदार आवाज़ में गाया, तो लगा सांस्कृतिक धरोहर , सदा ही सरहदों से परे होती है। गोरबंद गीत में ऊंट  के श्रृंगार का वर्णन कम रोचक नहीं है।



  "फ्रेगरेंस ऑफ फोक" नाम से इस 67 वीं प्रस्तुति की आज रिकार्डिंग की गई , जो यू ट्यूब पर दर्शकों को उपलब्ध है।संस्था सचिव राजेन्द्र सिंह पायल के अनुसार महीने में दो लोक कलाकार दल को बुला कर उनका कार्यक्रम किया जाएगा। इस से कलाकारों को आर्थिक मदद मिलेगी।

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