एसडीआरआई ने पकड़ी 930 करोड़ के फर्जी बिलों से राजस्व चोरी
एसडीआरआई ने पकड़ी 930 करोड़ के फर्जी बिलों से राजस्व चोरी
जयपुर, 25 नवम्बर । राजस्व अर्जन से संबंधित विभागों में करापवचंन पर निगरानी रखने वाली विशेष संस्था एसडीआरआई ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में फर्जी बिलों से व्यापार करने का एक रैकेट उजागर किया है। निदेशालय ने जयपुर के कुछ व्यवहारियों की जांच की हैं, जिसमें सर्कुलर ट्रेडिंग संबंधित एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। इन मामलों में व्यवहारियों द्वारा माल की वास्तविक आपूर्ति किए बिना ही लगभग 930 करोड़ राशि के माल की कागजों में ही खरीद-बिक्री दर्शाना पाया गया। निदेशालय ने जांच में पाया कि 6 फर्मों द्वारा जीएसटी में पंजीयन प्राप्त कर बड़ी मात्रा में माल की आपस में ही सुनियोजित रूप से खरीद-बेचान दर्शा कर इस पर लगभग 180 करोड़ रुपए की आईटीसी प्राप्त कर ली गई है।
एसडीआरआई को कुछ दिनों पूर्व इस संबंध में एक गुप्त सूचना प्राप्त हुई थी कि जयपुर के कुछ व्यवहारियों ने राज्य में जीएसटी लागू होने के बाद पंजीयन प्राप्त कर माल के बिना माल के वास्तविक सप्लाई के संव्यवहार किए जा रहे है। निदेशालय के अधिकारियों ने इन तथ्यों की गोपनीय जांच की। जांच में इन फर्मों के घोषित व्यवसाय स्थलों एवं गोदामों की जांच के लिए टीम भेजी गई। वहां पाया गया कि घोषित व्यवसाय स्थलों पर कभी कोई व्यवसायिक गतिविधियां हुई ही नहीं तथा एक जगह तो घोषित पते पर खाली भू-खण्ड मिला। उनके द्वारा घोषित गोदाम भी फर्जी मिले। इसके बाद निदेशालय द्वारा इन व्यवहारियों द्वारा बनाए गए ई-वे बिल में दर्ज वाहनों के पंजीयन नम्बरों का विभिन्न टोल गेट से गमन-आगमन की जांच करवाई गई। इस दौरान जिन तारीखों में माल का ई-वे बिल बनाया गया, उन तारीखों में वाहन उन टोल गेटों से गुजरे ही नहीं।
निदेशालय द्वारा 6 फर्मों का 360 डिग्री मूल्यांकन किया गया, जिसमें पाया गया कि इन सभी फर्मों के संचालनकर्ता आपस में संबंधी हैं तथा उनके द्वारा माल भेजे जाने वाली ट्रासपोर्ट कम्पनी के संचालक भी इन फर्मों से संबंधित है।
निदेशालय द्वारा प्रथम दृष्टया यह माना गया है कि इन सभी व्यवहारियों द्वारा आपस में सर्कुलर ट्रेडिंग कर आईटीसी क्लेम के दुरुपयोग के उद्देश्य से सोची-समझी रणनीति के तहत फर्जी खरीद-बिक्री दर्शाई गई है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इन सभी फर्मों के इन्ही नामों से दिल्ली राज्य में भी पंजीकृत हैं। निदेशालय ने अपनी जांच पूर्ण कर इन फर्मों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वाणिज्यिक कर विभाग को अनुशंसा भेजी है।
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