थाली में छेद और सीमाओं पर घुसपैठ का मंथन.
थाली में छेद और सीमाओं पर घुसपैठ का मंथन.
प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़. ( वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषण)
शाब्दिक चिंगारी से निकला लावा बालीवुड में थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। सुशांत और दिशा की दर्दनाक मौत से उठी सुनामी ने अब कई बड़े- बड़े रसूकदारों की कालर को लपेटे में ले लिया हैं। सैकड़ों अनसुलझें सवालों का मातम अब छटनें लगा हैं। अपनी कालर को टाईट करके चलने वाले और झूठी शान में जीने के आदी हो चुके सब बैनकाब होते जा रहे हैं। ये एक चिंगारी से इतना बड़ा हश्र हो सकता हैं तो धधकतें लावा के बाहर आने का मंजर कैसा होगा। केवल कल्पना ही कि जा सकती हैं !
किसी को ब्लाइंड होकर रोल माडल मानना आज की सबसे बड़ी मूर्खता सिद्ध हो रही हैं। भेंड़चाल का अनुकरण करने से सदैव भारी नुकसान और फजीयत ही उठाना पड़ती हैं। दिकभ्रमित होती युवा पीढ़ी के पास अपने परिवारों से मिली सामाजिक, नैतिक और जीवन मूल्यों की शिक्षा खतरें में पड़ चुकी हैं। बाहरी समाज के गंदे और असामाजिक माहौल में पनपती हजारों लाखों की जिंदगी भी पतन और विनास के गर्त की ओर धीरे धीरे कदम बढ़ाती जा रही हैं। महान चाणक्य की एक बात वह यह कि किसी के मौन से ज्यादा खतरनाक कुछ भी नहीं होता हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि के क्षेत्र में मौन को शास्त्रों में कई जीवों की हत्या के पाप के समान बताया गया हैं। क्योंकि पाप और अपराध भी वहीं पनपते हैं जहां भेंड चाल का अनुकरण करने वाले सब यदि मौन बैठे हैं तो निश्चित मानिए कि उस मौन को देर सबेर टूटना ही पड़ता हैं और उस अपराध की दुनिया के सब चेहरें स्वमेव ही बैनकाब होते चले जाते हैं। यह एक शाश्वत सत्य हैं कि पाप का घड़ा भरते ही छलकने लग जाता हैं। अपराधी कितना भी बड़ा शातिर, होशियार, चालाक,प्रशिक्षित और किसी बड़े वरदहस्त से संरक्षित ही क्यों ना हो उसे बैनकाब होना ही पड़ता हैं। मनुष्य का परिवेश ही उसके पापों और अन्यायों की कहानी स्वयं घड़ता हैं और उससे जुड़े उन सभी लोगों को प्रभावित होना पड़ता हैं जो उसे समझनें में भूल कर बैठते हैं। आज ऐसा ही कुछ सुशांत और दिशा के मौत से जुड़े हर एक रहस्यमय तथ्यों से बाहर निकल आ रहे साक्षों से पता चल रहा हैं। ड्रग्स के माफियाओं से सजी माया नगरी की चकाचौंध अब फिकी पड़ती नजर आ रही हैं। कहते हैं कि एक पापी, भरी हुई सज्जन यात्रियों की नांव को डूबो देता हैं। बालीवुड में जो चिंगारी अब लपटें बनकर उठ रही हैं वे तब तक ठंडी नहीं होने वाली जबतक ड्रग्स के गौरख धंधें में खरीदी और बिक्री करने वालों से जुड़े हर एक शक्स का चेहरा बैनकाब नहीं हो जाता हैं। ड्रग्स से सजी बालीवुड की थाली में जो अपराध और पाप छिपा हुआ हैं उसकी सच्चाई बयां करने वालों को अब किसी से सुरक्षा का मोहताज नहीं होना चाहिए। उन्हें एक भारतीय नागरिक के नाते स्वयं आगे आकर खुलकर सच्चाई बयां करना चाहिए। क्या कोई बिना माता-पिता के अपनी जिंदगी को नष्ट कर देता हैं यदि नहीं तो फिर बालीवुड की तमाम आपराधिक सच्चाईयों को जानने वालों ने चाहे वह आम नागरिक हो या जनता के प्रतिनिधि ऐसे लोगों ने नैतिक धर्म का पालन करते हुए राष्ट्रहित में सब खुलासे करने में कोई भी हिचकिचाहट ना करते हुए एक वीर सैनिक की तरह सीना तानकर अपना फर्ज अदा करने को ही राष्ट्रधर्म समझना चाहिए। सुरक्षा कि तो उसे जरूरत होती हैं जो सच से दूर भागता हैं और अपने आप को कमजोर और असहाय समझता हैं। चाणक्य के चरित्र में राष्ट्रहित सबसे प्रमुख हैं। इसलिए सब संकटों को स्वयं ने झेलें और अखंड भारत का निर्माण करके ही दम लिया। हम सब कमजोर पैदा नहीं हुए हमें अपनी सोचने ने कमजोर बना दिया हैं इसलिए हर बार दूसरों पर ही आश्रित रहने की एक आदत सी बन चुकी हैं। महान सिकन्दर के सामने महाराज पौरस ने कभी हार नही मानी। सिकन्दर हर बार जीत कर भी अंत में पौरस (पुरू)से हार गया। कि जिसकी सोच में ताकत है उसे हराना या तोड़ना सच में नामुमकिन ही होता हैं। और मन से हार कर सिकन्दर खाली हाथ अपने वतन लौट गया। बालीवुड के काले गौरख धंधों के हिसाबों का समय आ गया हैं जो लिप्त होगें वे बदनाम भी होगें और सजा के लिए दोषी भी सिध्द होगें। किन्तु जो ड्रग्स के गौरख धंधों में नहीं हैं उन्हें तो खुलकर सामने आकर जनता का अपना रोल माडल वाला फर्ज अदा करना ही चाहिए। जनता ही पलकों पर बैठाती हैं तो डरिए कि जनता ही एक दिन उन्हें नेस्तनाबुद भी कर सकती हैं। सदैव स्मरण रखना हैं कि हम पैसे देकर फिल्डम देखते हैं फोकट में नहीं। डरपोक, कायर, कमजोर और अपने साथियों और समुदायों के साथ धोखा करने वाले कभी किसी के रोल माडल नहीं हो सकते हैं, और ना ही वे आदर्श बन सकते हैं। असली रोल माडल तो सेना का वह एक जवान ही हैं जो रात दिन अंदर की दुनिया से बेखबर केवल राष्ट्रहित के लिए अपना सर्वस्य होम कर देता हैं। आज की युवा पीढ़ी को समझना होगा कि अब अपनी वैचारिक सोच कोबदलने का समय आ गया हैं। यदि समय रहते हमनें सोच नहीं बदली तो बालीवुड के काले कारनामें में लिप्त लोगों को रोल माडल मानने,देखने और अनुकरण करने से हम अपने राष्ट्रहितों (ड्रग्स से बर्बाद होती युवा पीढ़ी) के साथ ही खिलवाड़ करने दोषी माने जा सकते हैं। यह कितनी बड़ी शर्मसार करने वाली बातें हैं कि जब राष्ट्र की सीमाओं पर विदेशी आतंकवादी आक्रमण करते है,बेवजह सीजफायर करते हैं या छद्मवेष में घुसपैठ करते हैं। सेना के जवानों पर अत्याचार होता हैं। लातभूसों से मारा जाता हैं। देश की मां, बहु, बेटियों के साथ बलात्कार या उनकी हत्या होती हैं तब बालीवुड के दिग्गज मुंह पर पट्टी बांधकर चुप बैठे रहते हैं। तब इन्हें देश और देशवासियों की कीमत और अपनत्व समझ में नहीं आता हैं। आतंकवादी आकर मुम्बई पर बड़ा हमला करके और सैकड़ों लोगों को मारकर चले जाते है। दुनिया के मंचों से भारत को नीचा दिखानें की कोशिश होती हैं तब बालीवुड के बड़े बड़े दिग्गज चुपचाप देखते और सुनते रहते हैं। घटित दृश्यों पर फिल्म बनाने की रणनीति में जुटा रहता हैं । ऐसे ही सैकड़ों ड्रग्स पेडलर बालीवुड में मौत का सामन(ड्रग्स) बेचते,खरीदते और पीने की जानकारी रहने के बावजूद भी ये बालीवुड के नायक महानायक विलेन सब चुपचाप मुंह पर ताला जड़े बैठे रहते हैं। आखिर क्यों ? अपने देश को खोखला करने वालों के विरुध्द संसद सत्र से सांसद रविकिशन ने एक आवाज उठाई और इसको दबाने के लिए एक मोहतरमा सांसद की जुबान विरोध में खुली ना कि रविकिशन के समर्थन में खुली।जया बच्चन के थाली में छेंद के मुद्दें के समर्थन में बालीवुड का मौन टूट पड़ा और जया के बोलबच्चन में कूद पड़े। आज जया के बिना सोचे समझे दिए बयान और माफियाओं को बचाने पर प्रहार के बाद और रविकिशन के देश प्रेम को लेकर देश में आज बालीवुड की दो फाड़ हो चुकी हैं। एक सुशांत व ड्रग्स माफियाओं के लिए लड़ने वाला बालीवुड और दूसरा ड्रग्स माफियाओं को बचाने वाला और जया बच्चन के समर्थन में बोलने वाला समूह। हमें और देश की चैनलों ने तय करना हैं कि हमें महानायक की पत्नी के समर्थन में बिना सोचे समर्थन करना हैं या सुशांत की मौत के सौदागरों को पकड़वाकर ड्रग्स की गटर को साफ करवाना हैंं!
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