चिकित्सकीय गाइड लाइन नर्सिंगकर्मियों के लिए हो सकती है जानलेवा
चिकित्सकीय गाइड लाइन नर्सिंगकर्मियों के लिए हो सकती है जानलेवा
जयपुर 25 अगस्त । विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए निर्धारित केंद्रीय एवं राजस्थान सरकार चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से जारी चिकित्सा गार्डलाइन जिसमें कोरोना आरटीपीसीआर नेजो फैरिंजीयल सैंपल प्रोसीजर के लिए देश सहित विश्वभर में ईएनटी स्पेशलिस्ट या पोस्ट ग्रेजुएट रेजिडेंट डॉक्टर ही अधिकृ है। वहीं देशभर में सर्वोत्तम कोरोना से बचाव प्रबंधन का दावा करने वाली राजस्थान सरकार का चिकित्सा प्रबंधन दिनोदिन विफल हो रहा है, जो बहुत ही चिंताजनक है। रोग निदान एवं चिकित्सा प्रक्रिया में मानव स्वास्थ्य रक्षा से समझौता करते हुए नर्सेज कर्मियों से ऐसे चिकित्सीय कार्य को करवाने के लिए 19 अगस्त को उपशासन सचिव की ओर से जारी चिकित्सा ग्रुप 3 विभाग के आदेशों से राज्यभर के नर्सेज संवर्ग में तीव्र असंतोष व्याप्त हो गया है। इसके चलते राजस्थान राज्य नर्सेज एसोसिएशन एकीकृत ने राज्यभर के नर्सेज कर्मियों के निर्णय पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, चिकित्सा मंत्री, मुख्य सचिव , एवं प्रमुख शासन सचिव सहित समस्त विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर अविलंब ऐसे आदेशों को स्थगित एवं संसोधित करने की माग करते हुए राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। इसके तहत मंगलवार को एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने निदेशक जन, स्वास्थ्य एवं अतिरिक्त निदेशक प्रसाशन से मिलकर नर्सेज के असंतोष से अवगत कराया। वहीं प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राना, प्रदेश महामंत्री मदनलाल, प्रदेश पर्यवेक्षक भूदेव धाकड़ एवं जयपुर जिला अध्यक्ष अनीश कुमार सैनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि राज्य में कोविड को लेकर चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर दो अलग-अलग तरह की गाईड लाईन आश्चर्यजनक है। दिनों दिन अनियंत्रित होते कोरोना संक्रमण का भयावह प्रसार के साथ ही अन्य मौसमी बीमारियों एवं केंद्र व राज्य स्तरीय विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में नर्सेजकर्मी फ्रंट फुट वॉरियर्स के रूप में अत्यधिक कार्य करते हुए लगातार खुद संक्रमित होने के बावजूद पूर्ण मुस्तैदी से डटे हुए हैं। उनके ही प्रयासों से राज्य में कोविड-19 संक्रमित रोगी बड़ी संख्या में रिकवर हो रहे हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा जारी प्रावधान के तहत यह संवेदनशील चिकित्सीय कार्य डॉक्टर्स की बजाय नर्सेज से करवाने का निर्णय लिया गया है। जबकि ये निर्णय जनजीवन स्वास्थ्य एवं आदर्श कोविड-19 चिकित्सा प्रबंधन के अनुरूप नहीं है। इसलिए प्रथम चरण में राज्यभर में तहसील स्तरों तक विभागीय अधिकारियों के जरिये मुख़्यमंत्री एवं चिकित्सा मंत्री को 31 अगस्त तक ज्ञापन भिजवाते हुए आदेशों को संशोधित करवाने की मांग की जा रही है। इसके बाद भी यदि सरकार की तरफ से कोई निर्णय नही लिया जाएगा तब दूसरे चरण में राज्यव्यापी प्रदर्शनों के लिए नर्सेज कर्मियों को विवश होना पड़ेगा। गौरतलब है कि कोविड-19 आपातकाल के चलते राज्य में अधिकतम नर्सेज कर्मी विगत 3 मार्च के बाद से ही लगातार अपनी जानमाल की परवाह किये बिना अपने परिजनों से दूरी बनाए रखते हुए दिन रात जानलेवा संक्रमण से जूझ रहे हैं। इनको ना तो राज्य के चिकित्सक, रेडियोग्राफर, लैब टेक्नीशियन इत्यादि के सामान कोई रिस्क एलाउंस दिया जाता है और ना ही केंद्र के समान पदनाम परिवर्तन, विभागीय पदोन्नतिया इत्यादि दी जाती है। ऐसे में सरकार की नजरंदाजगी दुर्भाग्यपूर्ण है।
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