सूखे कंठ अब होंगे तर, विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा बने भागीरथ

सूखे कंठ अब होंगे तर, विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा बने भागीरथ



धौलपुर जिले का यह दुर्भाग्य है कि इसका ज्यादातर इलाका पठारी और बीहड़ है। इसीलिए यहां पेयजल की किल्लत रहती है। जब आदमियों को पानी नहीं मिलता तो मवेशियों को पानी कैसे मिले, इसीलिए बड़ी संख्या में पशुपालक अपने परिवार के बच्चों और महिलाओं को लेकर हर वर्ष पलायन करते हैं तथा 4 महीने जिले से बाहर या जिले के किसी गुमनाम इलाके में गुजरने के बाद जब बरसात शुरु होती है, तब लौट कर आते हैं।


 धौलपुर जिले में पानी की किल्लत कोई नया मामला नहीं है। पीढ़ियां पीढ़ियां गुजर गई। न जाने कितने नेता, कितने अधिकारी आए और चले गए। करोड़ों रुपए की न जाने कितनी योजनाएं बनी। बीहड़ इलाके में रहने वाले लोगों के गले तर नहीं हुए। पशुधन को आज भी साफ-सुथरा पानी न मिलने पर गड्ढों में भरा हुआ बरसात का या बचा हुआ पानी पिलाने की व्यवस्था देखी जाती रही है। इसी गंदे दूषित पानी की वजह से न केवल ग्रामीणों में बीमारियां बड़े हैं बल्कि उनके पशुधन का क्षरण हुआ है। पर कभी किसी ने इस और ध्यान नहीं दिया। 


अब इस संकट को दूर करने के लिए कुछ सार्थक प्रयास शुरू हुए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिले के दर्द को जनप्रतिनिधियों ने बताया तो उस दर्द का इलाज तलाशा गया है। जिले के बसेडी विधान सभा के विधायक खिलाड़ी लाल वैरवा के भागीरथी प्रयास रंग लाये हैं तथा उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में पानी की किल्लत को दूर कराने के लिए लामबंद होकर संघर्ष किया।


पानी की किल्लत को दूर करने लिए लगातार प्रयास हुए तभी


क्षेत्रों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए पानी की कई टंकी स्वीकृत कराई हैं। इन चार पानी की टंकियों से इलाको के गले तर होंगे तथा दो बूंद पशुधन को भी मिल सकेंगे। इन पंक्तियों में से 


सलेमपुर में 131.73 लाख रुपए, हरजूपुरा ग्राम पंचायत में 169.25 लाख, सिहोली 97.23 लाख एवं बाडी पंचायत समिति की उमरेह ग्राम पंचायत में 360.53 लाख रुपए की राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है। पानी की टंकियों के लिए करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत होने के बाद हालांकि विधायक बैरवा ने अपना कार्य पूरा कर दिया है मगर अब गांवों में रहने वाले नागरिकों का काम शुरू हो गया है। उन्हें चाहिए कि वे टंकियों के निर्माण पर पूरा ध्यान रखें उनकी क्वालिटी में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होने दें तथा जिस मापदंड में टंकियां बननी है, उसी में उनका निर्माण कराएं तथा टंकियों से बचे हुए पानी को स्टोर कराने की व्यवस्था भी ग्रामीण कराएं ताकि पशुधन को पीने के लिए भी पानी की व्यवस्था हो सके। हालांकि लोगो ने विधायक को धन्यवाद दिया है। क्योंकि लंबे समय से क्षेत्र वासियो की पानी की टंकियों की डिमांड थी।


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