आंगनबाड़ी केंद्रों पर विकसित किए जाएंगे न्यूट्री गार्डन-ममता भूपेश
आंगनबाड़ी केंद्रों पर विकसित किए जाएंगे न्यूट्री गार्डन-ममता भूपेश
जयपुर, 28 जुलाई। महिला एवं बाल विकास विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) ममता भूपेश द्वारा मंगलवार को पोषण वाटिका अभियान के तहत समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय में आंवला, अमरुद,चीकू,बील फलदार पौधों का आरोपण कर पोषण वाटिका अभियान का प्रारंभ किया गया।
राज्य मंत्री ममता भूपेश ने पौधारोपण कार्यक्रम के अवसर पर बताया कि 30 जुलाई से 15 अगस्त तक के पखवाड़े में विभाग के लगभग 62000 आंगनबाड़ी केंद्रों में से विकास के लिए चयनित सभी केंद्रों में पौधारोपण कार्यक्रम के तहत न्यूट्री गार्डन विकसित किए जाएंगे I विभाग में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर फलों के पौधे लगाए जा रहे हैं। इनके साथ ही चयनित केंद्रों पर क्यारियाँ बना कर मौसमी सब्जियों को भी लगाया जाएगा। इनका उद्देश्य पोषण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में वाटिका बनाने के साथ साथ जनसामान्य को पोषण के प्रति जागरूक करना भी है।
फल विभिन्न विटामिन्स के सबसे उपयुक्त स्रोत हैं। पत्तेदार सब्जियां ऑयरन की सबसे बेहतर स्रोत हैं। यदि प्रत्येक घर के आंगन तक फलों सब्जियों की अभिरुचि विकसित हो जाए, तो कुपोषण की समस्या बहुत हद तक कम हो जाएगी। कई पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए आवश्यक विटामिंस भी इनसे सहज ही प्राप्त हो सकेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इनका महात्मा गाँधी नरेगा के समन्वय से व्यापक योजना भी बनाए जाने हेतु निर्देश दिए गए हैं। जहां चारदीवारी से घिरा परिसर उपलब्ध है, वहाँ और भी बेहतर सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं, जैसे ग्रीन नेट, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग, टाँका, सॉक पिट, ड्रिप सिस्टम आदि भी निर्मित किये जा सकते हैं।
ममता भूपेश ने बताया कि राज्य सरकार ने निरोगी राजस्थान का संकल्प लिया है। बच्चे व महिलाएं परिवार की धुरी हैं और उनके पोषण पर ही समाज का स्वास्थ्य निर्भर करता है। इसके लिए हमें हरियाली को पोषक बनाने की आवश्यकता है। पोषण वाटिका सबको प्राकृतिक पोषण देगी और प्राकृतिक पोषण में पोषक तत्वों का बॉयो एवेलेबिलिटी भी अधिक होती है। इसमें पोषण अभियान के नवाचार घटक के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा पोषण वाटिका के विकास के लिए प्रत्येक जिले को न्यूट्री गार्डन विकसित करने के लिए उपलब्ध कराए गई राशि का उपयोग किया जा सकता है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पौधारोपण कार्यक्रम के तहत कम से कम पांच बड़े फलदार पौधा रोपण के साथ न्यूट्री गार्डन विकसित करने की शुरुआत की जाएगी जिसमें क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का भी सम्मिलित होने हेतु आमंत्रित किया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव डॉक्टर के .के .पाठक ने बताया कि इस संबंध में समस्त जिला कलेक्टर को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने निर्देश दिए है कि राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन समेकित बाल विकास योजना अधिकारियों व मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद के साथ समन्वय कर अपने नेतृत्व में न्यूट्री गार्डन विकसित कराएंगे ।
पाठक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी नरेगा एन आर एल एम आदि योजनाओं के कन्वर्जेंस से ऐसे न्यूट्री गार्डन का विकास किया जाएगा जिसमें पोषण अभियान की राशि का पौधों की खरीद फेंसिंग ट्री गार्ड मेटेरियल ग्रीन नेट आदि पर खर्च किया जाएगा वाटिका के विकास में मुख्यतः तीन प्रकार के पौधों को लगाया जाएगा। वाटिका की लाइव फेन्सिंग के लिए मेहंदी, करौंदे, संतरे, नींबू आदि के पौधे लगाए जाएंगे।जिन्हें सामान्यतः पशु नहीं खाते है फलों के पौधों में नींबू अमरूद केला पपीता अनार, बेर, आम , आंवला, किन्नू, बील, संतरा, जामुन के पौधे और सब्जियों में भिंडी ,लौकी ,तोरई, टमाटर, मिर्ची, धनिया, पुदीना, प्याज, आलू ,मटर , खीरा, ककड़ी पालक , चौलाई आदि पौधे एवं औषधीय पौधों में तुलसी, गिलोय, व एलोवेरा पौधों को मौसम अनुसार लगाकर पोषण वाटिका का विकास किया जाए।
इसके अतिरिक्त अन्य दिशा निर्देशों के तहत उन्होंने यह भी कहा कि जहां तेज धूप गर्म हवाओं के कारण पौधों के झुलसने की संभावना होती है वहां क्यारियों के बीच में बाजरा भी लगाया जाए इसके अलावा पोषण के क्षेत्र में नवाचार भी किए जाएं जिनमें सहजन की पत्तियां, फलियां जैसे पोषक तत्वों वाली वनस्पतियों को भी लगाया जाए ।
फलों एवं सब्जियों का चयन अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक स्थिति के अनुसार किया जाए। कुछ जगहों पर गन्ना ,खरबूजा, तरबूज, ककड़ी ,लगाए जा सकते हैं और बारहमासी सब्जियों को भी प्राथमिकता के आधार पर लगाया जाए ।
शहरी क्षेत्रों में न्यूट्री गार्डन विकसित करते समय स्थान के अभाव में बड़े गमलों में पौधों को विकसित कर नवाचारों के साथ रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, ड्रिप इरिगेशन जैसे नवाचारों का भी उपयोग किया जाना है। आर्गेनिक वेस्ट खाद के रूप में काम लेने के लिए एक बड़ा गड्डा बना पत्तियां,गोबर फलों एवं सब्जियों के छिलके खाद्य अवशेष डालकर काम में लिया जाए। बारिश के पानी को रिचार्ज पिट या टांके में
डालने के अतिरिक्त क्यारियों में भी डलवाया जाए ।
उन्होंने यह भी बताया कि न्यूट्री गार्डन के उत्पादों का उपयोग आंगनबाड़ी लाभार्थियों,आंगनबाडी कर्मी
के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार समुदाय के लिए भी किया जाएगा।
इस अवसर पर कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिग की पालना करते हुए विभाग की निदेशक डॉ प्रतिभा सिंह ,अतिरिक्त निदेशक पोषाहार मुकेश मीणा,विशिष्ट सहायक सी. एल. वर्मा, उपनिदेशक सोहन राम चौधरी ,डी.एल आर.दुर्गा प्रसाद, एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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