महासंघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वेतन स्थगन पर पुनर्विचार करने की मांग की
महासंघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वेतन स्थगन पर पुनर्विचार करने की मांग की
जयपुर ,1 अप्रैल। राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के मह मार्च 2020 के वेतन स्थगन आदेश का अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने कर्मचारियों की परिस्थितियों पर बिना विचार किए लिए गया निर्णय करार देते हुए पुनर्विचार करने की मांग की है।
प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया ओर प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड ने कहा कि राज्य ओर देश में आयी हर विपदा में राज्य कर्मचारियों ने सदैव वितीय सहयोग कर अग्रनी भूमिका निभाई है ।
कोरोना वायरस (covid-19) कि वैश्विक महामारी जैसे कठिन समय में भी महासंघ ने बिना सरकार की मांग ओर किसी भी प्रकार की अपील का इंतजार किए राज्य कर्मचारियों का 1 दिन का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष (कोविड-19) में जमा कराने की पेशकश कर दी थी लेकिन राज्य सरकार ने कर्मचारियों को धन्यवाद देना तो दूर इसके विपरीत पहली बार एक तरफा निर्णय लेते हुए कर्मचारियों का तीन दिवस तक का वेतन काटने के आदेश जारी कर दिए।
जिसे भी कर्मचारियों ने प्रदेश की जनता के हित में सहर्ष स्वीकार कर लिया । इस कटौती के बाद भी राज्य सरकार ने कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना पुनः मार्च 2020 के वेतन स्थगन के आदेश जारी कर दिए ।
जिसमें राज्य कर्मचारियों के माह मार्च 2020 के वेतन का 30% व 50% (11 दिवस) का वेतन स्थगित करने का फैसला है। आदेश में पेंशनर्स की भी मार्च 2020 की पेंशन से 30% (11 दिवस की) पेंशन स्थगित की गई है ।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को उक्त आदेश जारी करने से पहले अपनी वित्तीय स्तिथि स्पष्ट करते हुए कर्मचारियों से सहयोग की अपील करनी चाइए थी ।
वेतन स्थगन की राशि कर्मचारियों को कब लौटाई जाएगी। इस सम्बन्ध में भी कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए है ।ऐसे में राज्य में कोराना जैसी विपदा से संघर्ष में अग्रिणी भूमिका में लड़ रहे प्रदेश के राज्य कर्मचारियों में निराशा का भाव उत्पन होना स्वभाविक है ।
आदेश में ना तो परिवीक्षाधीन कर्मचारियों का ही ध्यान रखा गया है ना ही अतिआवश्यक सेवा जैसा बिजली पानी इत्यादि की 24घंटे सेवा देने वाले कर्मचारियों का भी वेतन रोक लिया गया है।
महासंघ ने कोराना से लडाई में कर्मचारियों के त्याग एवम् समर्पण की सरहना करते हुए कहा कि अल्प वेतनभोगी संवर्ग ही है जो ऐसी आपदाओं में अपनी जान जोखिम में डालकर सरकार और जनता के साथ 24 घंटे खड़ा है ओर सरकारी योजनाओं को जमीन पर लागू कर रहा है ।
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