कोरोना के बाद अन्य बीमारियों के मरीजों में इतनी गिरावट क्यों !
कोरोना के बाद अन्य बीमारियों के मरीजों में इतनी गिरावट क्यों !
(जयप्रकाश यादव )
अभी हाल फिलहाल सभी अस्पतालों की OPD बन्द है, ना ही इस समय आपातकालीन वॉर्ड में कोई भीड़ है। कोरोना बाधित मरीजों के अलावा कोई नए मरीज भी नहीं आ रहे हैं। सड़कों पर वाहन ना होने से दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं।
ओर वातावरण भी बहुत साफ हो गया। श्वास लेने में भी इंसान बहुत अच्छा महसूस करने लगा है।
इसके अलावा हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज के मामले तो अचानक से गायब से ही हो गए।
अचानक ऐसा क्या हुआ है, कि बीमारियों के केस में इतनी गिरावट आ गई ? यहाँ तक कि श्मशान में आने वाले मृतकों की संख्या में भी गिरावट देखने को मिली है।
क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि कोरोना ने सभी अन्य रोगों को नियंत्रित या नष्ट कर दिया है?
नहीं ? बिल्कुल नहीं ?
दरअसल अब यह वास्तविकता सामने आ रही है, की जहाँ गंभीर रोग ना हो, वहाँ पर भी डॉक्टर उसे जानबूझ कर गंभीर स्वरूप दे रहे थे।
वही आज कोई डॉ आपकी सेवा में लगा हुआ है तो वो सरकारी अस्पताल का डॉ ही है।
अच्छे और बड़े 2 प्राइवेट अस्पतालों के डॉ तो गायब ही हो गए।
जब से भारत में कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स, टेस्टिंग लैब की बाढ आई है, तभी से यह संकट गहराने लग गया था। मामूली सर्दी, जुकाम और खांसी में भी हजारों रुपये की टेस्ट करनें के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा था। छोटी सी तकलीफ में भी धड़ल्ले से ऑपरेशन किये जा रहे थे। मरीजों को यूँ ही ICU में रखा जा रहा था। बीमारी से ज्यादा भय उपचार से लगने लगा था।
जनता का स्वास्थ्य मंत्री और प्रदेश के मुखिया से एक प्रश्न,
*अब कोरोना आने के बाद यह सब अचानक कैसे बन्द हो गया?*
इसके अलावा एक और सकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर भी अंकुश लग गया है। लोग स्वयं ही बाहर के सड़क छाप और यहाँ तक कि बड़ी होटलों से अधिक घर का खाना पसंद करने लगे हैं।
लोगों के अनेक अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं ? वही कोरोना नें इंसान की सोच में परिवर्तन ला दिया है। हर व्यक्ति जागृत हो रहा है।
*शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं, यह अगर वास्तव में समझ में आ रहा हो, तो उसे बीमारियाँ, भोजन, और पैसे की चिंताओं से बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।*
आज नहीं तो कल कोरोना पर तो नियंत्रण हो ही जाएगा, पर उससे हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, उसे यदि हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम करें, तो जीवन वास्तव में बहुत सुखद एवं सुंदर हो जाएगा।
यही कड़वा सत्य है।
इसलिए घर पर रहे सुरक्षित रहे।
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