एस एम एस में कोरोना संक्रमितों की सेवा में तैनात किए गए रोबोट "सोना 2.5"
एसएमएस में कोरोना संक्रमितों की सेवा में तैनात किए गए रोबोट "सोना 2.5"
जयपुर के युवा रोबोटिक्स एक्सपर्ट भुवनेश मिश्रा के बनाए रोबोट 'सोना 2.5' को एसएमएस हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों की सेवा के लिए लगाया गया है। कोरोना पीड़ितों के लिए बुधवार को यहां तीन रोबोट इंस्टॉल किए गए हैं। इन रोबोट की खास बात यह है कि मेक इन इंडिया के तहत इन्हें जयपुर में ही तैयार किया गया है। क्लब फर्स्ट की ओर से सीएसआर के तहत इन्हें एसएमएस में लगाया गया है। ये रोबोट कोरोना संक्रमितों तक दवा, पानी व अन्य आवश्यक वस्तुएं ले जाने का काम करेंगे। भुवनेश ने बताया कि रोबोट को यहां लगाए जाने से कोरोना पीड़ितों के पास मेडिकल स्टाफ का मूवमेंट कम हो जाएगा और इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि हॉस्पिटल में इंसानों की वजह से कोरोना के प्रसार की संभावना काफी कम हो जाएगी।
भुवनेश मिश्रा ने बताया कि एसएमएस हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. डी. एस. मीणा, डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल दुबे व सीनियर प्रोफेसर डॉ. सी. बी. मीणा से बातचीत के बाद उनके मार्गर्दशन के तहत वार्ड में ये रोबोट लगाए गए हैं।
इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 'सोना 2.5' रोबोट लाइन फॉलोअर नहीं हैं, बल्कि आॅटो नेविगेशन रोबोट हैं। इसलिए इन्हें मूव कराने के लिए किसी भी प्रकार की लाइन बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। इंसानों की तरह ये रोबोट सेंसर की मदद से खुद नेविगेट करते हुए अपना रास्ता स्वयं बनाते हैं और टारगेट तक पहुचते हैं।
ये हैं 'सोना 2.5' की खासियतें —
ये रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, आईओटी और एसएलएएम तकनीक का उपयोग करके तैयार किए गए हैं। सर्वर के कमांड मिलने पर ये रोबोट सबसे पहले अपने लिए सबसे छोटे रास्ते का मैप क्रिएट करते हैं। ये किसी भी फर्श या फ्लोर पर आसानी से मूव कर सकते हैं। इन्हें वाइ—फाई सर्वर के जरिए लैपटॉप या स्मार्ट फोन से भी आॅपरेट किया जा सकता है। आॅटो नेविगेशन होन से इन्हें अंधेरे में भी मूव कराया जा सकता है। इनकी सबसे खास बात यह है कि इनमें आॅटो डॉकिंग प्रोग्रामिंग की गई है, जिससे बैटरी डिस्चार्ज होने से पहले ही ये खुद चार्जिंग पॉइंट पर जाकर आॅटो चार्ज हो जाएंगे।
भुवनेश के बनाए रोबोट इससे पहले कुछ होटलों व रेस्टोरेंट में भी सफलतापूर्वक सेवाएं दे रहे हैं और इन्हें काफी पसंद भी किया जा रहा है।
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