जम्मू-कश्मीर से सुप्रीम कोर्ट : उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ बहन सारा पायलट ने याचिका दायर की, तुरंत रिहाई की मांग
एजेंसी
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने याचिका में कहा है कि उमर की हिरासत उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन है। यह सरकार की तरफ से अपने विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश है
जम्मू कश्मीर के दो बड़े नेता उमर अब्दकार और महबापता 6 फरवरी को पीएसए के तहत दर्ज किया गया था। दोनों की हिरासत की अवधि इसी दिन खत्म रही थी। इन दोनों को अगस्त2019 से सरकारी गेस्ट हाउस में नजरबंदी में रखा गया है। पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है, वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि महबूबा ने राष्ट्रविरोधी बयान दिए और वे अलगववादियों की समर्थक हैं। सारा ने याचिका में कहा है कि सरकार की नीतियों से असहमति लोकतंत्र में एक नागरिक का अधिकार है (खासकर अगर वह विपक्ष का सदस्य हो)। उन्होंने कहा कि उमर के खिलाफ आरोपों पर कोई भी सबूत नहीं मौजूद हैं। न ही सोशल मीडिया पोस्ट और न ही किसी और तरह के। इसके बजाय हिरासत से पहले उमर के कई ऐसे ट्वीट्स और सार्वजनिक बयान हैं जिनमें उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
पीएसए के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को भड़काऊ या राज्य के लिए नुकसानदेह मानकर हिरासत में ले सकती है। यह कानून आदेश देने वाले अफसर के अधिकार क्षेत्र की सीमा के बाहर व्यक्तियों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। कानून के सेक्शन 13 के मुताबिक, हिरासत में लेने का आदेश केवल कमिश्नर या डीएम जारी कर सकता है। इसमें कोई भी यह कहने के लिए बाध्य नहीं है कि कानून जनहित के खिलाफ है। कानून के दो सेक्शंस हैं। एक- लोगों के लिए खतरा देखते हुए, इसमें बिना ट्रायल के व्यक्ति को 3 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। इसे 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। दसरा- राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा, इसमें दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। क्या है पीएसए?
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