जानिए नहाने के साबुन का किस्मत कनेक्शन--पंडित दयानंद शास्त्री
प्रिय मित्रों/पाठकों,ज्योतिष में सप्ताह का हर दिन ग्रहों के हिसाब से तय किया गए हैं। जैसे सोमवार का दिन चंद्रमा को समर्पित है, मंगलवार का दिन मंगल के लिए, बुधवार बुध का कारक है, गुरुवार का दिन गुरु के लिए। ज्योतिष में हर दिन ग्रहों के नजरिए से शुभ काम करनी चाहिए और वर्जित किए गए काम को करने से बचना चाहिए।
हम सब नहाते समय साबुन का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही हम अपनी पसंद के हिसाब से साबुन चुनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से हमें किस तरह के साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए?
हमारे शास्त्रों में मानसिक शुद्धि के साथ ही शारीरिक शुचिता को भी बहुत महत्त्व दिया गया है। कहते हैं स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है और शरीर के स्वस्थ रहने के लिए शरीर को स्वच्छ रखना बहुत आवश्यक है। शारीरिक स्वच्छता में स्नान की अग्रणी भूमिका है।
प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक स्वच्छता के लिए प्रतिदिन स्नान करना आवश्यक है। हमारे शास्त्रों में स्नान किए बिना मन्दिर प्रवेश, पूजा-पाठ व भोजन करने का निषेध बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विधिपूर्वक किया गया स्नान जन्मपत्रिका के ग्रहजनित दोषों को दूर करने में सहायक होता है।
ज्योतिष के मुताबिक साबुन का इस्तेमााल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? साथ ही किस साबुन का इस्तेमाल करने से क्या लाभ मिलता है? यदि नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बता रहे हैं। चलिए जानते हैं कि ऐसी वो कौन सी पांच बातें हैं जिनका हमें साबुन का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखना चाहिए।
👉🏻👉🏻कुछ लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह की दशा खराब होती है। इससे पिता से रिश्ते खराब हो जाते हैं और सरकारी काम में सफलता नहीं मिलती। ज्योतिष के मुताबिक, ऐसे लोगों को शहद, चंदन, खस या गुलाब के सत वाले साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।
👉🏻👉🏻कई बार कुंडली में मंगल दोष हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति का स्वभाव काफी क्रोधी हो जाता है। साथ ही इससे विवाह में देरी होने लगती है। इस स्थिति में लाल चंदन, केसर या गुलाब के सत वाले सााबुन का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है।
👉🏻👉🏻शास्त्रों के अनुसार, गुरुवार को साबुन लगाने की मनाही है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को जीवन में सुख का कारक माना गया है। इसे मजबूत करने के लिए नहाते समय पानी में चमेली, हल्दी या केसर मिलाना चाहिए।
👉🏻👉🏻ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को वैवाहिक जीवन और विलासिता का कारक माना गया है। जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए चंदन, कपूर, आंवला या इलायची के सत वाले साबुन से नहाने के लिए कहा जाता है।
👉🏻👉🏻जन्म कुंडली में शनि, राहु और केतु के खराब होने से जीवन में ढेर सारी पेरशानियों के आने की बात कही गई है। ज्योतिष के मुताबिक, इन्हें मजबूत करने के लिए शनिवार और बुधवार को चंदन या पंचगव्य से युक्त साबुन से स्नान करना चाहिए।
👉🏻👉🏻नवग्रह शांति विधान में जन्मपत्रिका के अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों का शमन करने के लिए औषधि स्नान की प्रक्रिया है जिसमें अनिष्ट ग्रह से सम्बन्धित सामग्री के मिश्रित जल से स्नान किया जाता है। इन सामग्रियों को प्रतिदिन स्नान के जल में मिश्रित कर स्नान करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
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आइए जानते हैं कि नवग्रहों की शांति के लिए कौन-कौन सी सामग्रियां स्नान के जल में मिलाने से लाभ होता है-
1. सूर्य- सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में इलायची,केसर,रक्त-चन्दन,मुलेठी एवं लाल पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
2. चन्द्र- चन्द्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में पंचगव्य, श्वेत चन्दन एवं सफ़ेद पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
3. मंगल- मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त-चन्दन,जटामांसी,हींग व लाल पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
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4. बुध- बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में गोरोचन,शहद,जायफ़ल एवं अक्षत मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।. यदि कोई व्यक्ति बुधकृत पीड़ा से पीड़ित है, और यदि वह औषधि स्नान करे तो बुध का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।
औषधि स्नान के लिए स्नान सामग्री--
मोती भस्म, चावल, गोरोचन, पिप्परा मूल, स्वर्ण, शहद, जायफल, सूखा हुआ गाय का गोबर, मूंग की दाल, सफेद सरसों, हरड़, आंवला, कांसे का तुश या फिर चूर्ण, मल्लव, नई पटसन की रस्सी आदि।
1-औषिधि स्नान किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से आरंभ करें.
2-स्नान की सामग्री देशी दवा बेचने वाले दुकानदार या फिर आयुर्वेद सामग्री विक्रेता के पास मिल जाएगी.
3-पहले इन सभी सामग्री कूट-पीस कर चूर्ण बना लें.
4-बुधवार को स्नान करना है तो मंगलवार को पूरी तैयारी कर पानी में भिगोकर रख दें.
5-बुधवार की सुबह जब आप स्नान करें उस समय तय सामग्री को कपड़े से छान लें. और नहाने के जल में मिला लें.
6-ऐसा लगातार आप एक माह तक प्रत्येक बुधवार के दिन ही करें.
7-इसके बाद संकल्प स्वरूप 7,11,21 या फिर 45 स्नान करें.
8-आप चाहें तो माह में एक बार बुधवार के दिन भी स्नान कर सकते हैं.
9-यदि आप इस विधि से लगातार हर बुधवार स्नान करते हैं तो बुधकृत पीड़ा जल्द समाप्त हो जाती है.
10-इस तरह स्नान करने से चर्म रोग नहीं होता. साथ ही दिन भर शरीर में ताजगी बनी रहती है.
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5. गुरु- गुरु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में हल्दी,शहद,गिलोय,मुलेठी एवं चमेली के पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
6. शुक्र- शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में जायफ़ल, सफ़ेद इलायची,श्वेत चन्दन एवं दूध मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
7. शनि- शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में सौंफ़, खसखस, काले तिल एवं सुरमा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
8. राहु- राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में कस्तूरी,गजदन्त,लोबान एवं दूर्वा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
9. केतु- केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त चन्दन एवं कुशा मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है।
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