जेकेलोन अस्पताल में 100 बच्चों की मौत का मामला, गहलोत का ट्वीट शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील


कार्यालय संवाददाता


जयपुर। जेकेलोन अस्पताल में दिसंबर माह में 100 बच्चों की मौत के मामले में मख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गरुवार सुबह ट्वीट भी किए। अशोक गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि जेके लोन अस्पताल, कोटा में हुई बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। हम आगे इसे और भी कम करने के लिए प्रयास करेंगे। मां और बच्चे स्वस्थ रहें यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने लिखा कि राजस्थान में सर्वप्रथम बच्चों आईसीय की स्थापना हमारी सरकार ने 2003 में की कोटा में भी बच्चों के आईसीयू की स्थापना हमने 2011 की थी। स्वास्थ्य सेवाओं में और सुधार के लिए भारत सरकार के विशेषज्ञ दल का भी स्वागत है। हम उनसे विचार विमर्श और सहयोग से प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं में इम्प्रूवमेंट लिये तैयार हैं। निरोगी राजस्थान हमारी प्राथमिकता है।


दिसंबर महीने में 100 बच्चों की मौत- जेकेलोन अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। इस मामले को लेकर देशभर में मचे बवाल और अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने के आदेश के बीच बुधवार को एक और नवजात की सांसें थम गईं। गायनी विभाग के ई-वार्ड में भर्ती कापरेन के पास हांडीखेड़ा गांव निवासी पार्वती की 4 दिन की बच्ची ने दम तोड़ दिया। उसकी मौत का कारण तेज ठंड को माना जा रहा है। उधर, महज दो दिन 30 और 31 दिसंबर को इस अस्पताल में 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा पूरे दिसंबर माह में नवजातों की मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंच गया। बीते पूरे साल के 365 दिन की बात की जाए तो 2019 में 963 बच्चों ने दम तोड़ा। शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. एएल बैरवा ने बताया 30 दिसंबर को कोटा जिले के खातौली व बारां जिले के दो नवजात बच्चों की मौत हुई। वहीं, 31 दिसंबर को सांगोद, बारां, बूंदी, कोटा शहर के विज्ञान नगर व चश्मे की बावड़ी निवासी 5 नवजात बच्चों की मौत हुई। ये बच्चे लॉ बर्थ वेट, कुछ प्री-मेच्योर डिलीवरी और माइल्ड इंफेक्शन से पीड़ित थे। उल्लेखनीय है कि सरकार की जांच कमेटी ने हाल ही रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बच्चों की मौत के पीछे अस्पताल के वेंटिलेटर और वार्मर खराब होने सहित अन्य कारण बताए थे और इन्हें दुरुस्त कराने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद बुधवार को दम तोड़ने वाली बच्ची जिस वार्ड में भर्ती थी, उसकी खिड़कियों के शीशे टूटे हुए थे। परिजनों का आरोप है कि तेज ठंड के कारण बच्ची की मौत हुई। गायनी विभाग के किसी भी वार्ड में रूम हीटर भी नहीं हैं।


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