लोकसभा/ शाह ने कहा 1947 में आए शरणार्थियों को नागरिकता मिली, तभी मनमोहन पीएम बने
एजेंसी
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में चर्चा के लिए पेश किया। इस दौरान विपक्ष ने बिल का विरोध किया। शाह ने कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। बिल अल्पसंख्यकों के 0.001% भी खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने ऐसा किया और तब किसी ने विरोध नहीं किया था। गृह मंत्री ने उदाहरण दिया कि 1947 में पूर्व और पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भारत के संविधान ने नागरिकता दी थी। तभी मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। को सदन में बिल पेश करने के लिए वोटिंग हर्ड भेदभाव सदन में भोजनावकाश से पहले करीब एक घंटे तक बिल उनकी पर चर्चा हुई। इस दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, इसमें शशि थरूर और एआईएमआईएम के असदउद्दीन ओवैसी खिलाफ जैसे नेताओं ने अपनी बात रखी। विपक्ष की मांग पर बिल बताया पेश करने को लेकर वोटिंग हुई। इसके पक्ष में 293 और ओवैसी विरोध में 82 वोट पड़े। 375 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा इजरायल लिया। सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट में सरकार गठन के मुद्दे धर्म पर एनडीए से अलग हुई शिवसेना ने भी बिल पेश करने है। के पक्ष में वोटिंग की। कंडक्ट को शामिल किया जाए: विपक्ष धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगाकर बिल का विरोध कर रहा है। उनकी मांग है कि नेपाल और श्रीलंका के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। इस बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया जा रहा है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर बिल पेश हुआ तो भारत इजरायल बन जाएगा। थरूर ने कहा कि संविधान देश को धर्म और क्षेत्र के आधार पर बांटने की अनुमति नहीं देता है। इसलिए लोकसभा के रूल्स ऑफ प्रोसीजर एंड कंडक्ट के रूल 72 के तहत बिल पेश नहीं किया जाना चाहिए। यह मूल अधिकारों के खिलाफ है। अमित शाह के जवाब... धार्मिक आधार पर भेदभाव को लेकर शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। बिल में कहीं भी मुस्लिमों का जिक्र नहीं है। अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो नागरिकता बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती। अनुच्छेद 14 के उल्लंघन को लेकर अगर समानता का कानुन होगा तो अल्पसंख्यक के लिए विशेषाधिकार कैसे होंगे? उन्हें जो शिक्षा और अन्य चीजों का अधिकार मिला है, क्या उसमें आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं होता? जितने भी अनुच्छेद के उल्लंघन की बात की गई हैं, उन्हें ध्यान . में रखकर ही बिल ड्राफ्ट हुआ है। गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के मद्दे पर अफगानिस्तान के संविधान के मुताबिक, वह देश इस्लामिक है। पाकिस्तान भी इस्लामिक है। वहीं, बांग्लादेश के संविधान में भी धर्म इस्लाम लिखा गया है। मैं इसका जिक्र कर रहा हूं, क्योंकि इन तीनों देशों के संविधान में धर्म का जिक्र है। शरणार्थियों का इन तीनों देशों से यहां-वहां आना जाना हुआ। नेहरू-लियाकत समझौते में भारत-पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को सरक्षित करने पर सहमति बनी। भारत में समझौते का पालन हुआ, लेकिन पाकिस्तान में उनके साथ प्रताड़ना हुई। हिंदू, सिख, जैन, पारसियों को परेशान किया गया। पाकिस्तान में मुस्लिमों पर अत्याचार नहीं होता है।
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