जेकेके में सात ग्रहों पर आधारित कथक नृत्य संरचना ‘सप्तावर्त्त’ की हुई शानदार प्रस्तुति
जयपुर, 19 दिसंबर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में जयपुर के कलाप्रेमियों के लिए आयोजित 'विविधा-2' फेस्टिवल के चौथे दिन गुरुवार को कथक नृत्य संरचना 'सप्तावर्त्त' की मनोरम प्रस्तुति हुई। कथक गुरु प्रेरणा श्रीमाली की शानदार कोरियोग्राफी और काव्य चयन से सुसज्जित इस अनूठे कार्यक्रम में मध्यवर्ती के मंच पर सप्त ग्रहों - सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि को साकार करते हुए स्तुति, आराधना एवं नमन किया गया। कथक नृत्य में नवाचार करते हुए सात ग्रहों की विशिष्टताओं, उनकी ऊर्जा, रंग, प्रकृति और प्रभाव को प्रदर्शित किया गया, जिसे जयपुर के कलाप्रेमियों ने बेहद पसंद किया। कार्यक्रम में कथक नृत्य की विभिन्न तकनीक पक्ष एवं ताल का उपयोग कर ब्रह्माण्ड की अलौकिक ऊर्जा के नए मायने पेश किए गए। कलाकारोें की वेषभूषा और लाइटिंग में प्रत्येक ग्रह के रंगों का बखूबी इस्तेमाल किया गया।
सप्ताह के सात वारों को उनके क्रम के अनुसार पेश करते हुए कलाकारों ने सर्वप्रथम 'रवि' अर्थात सूर्य ग्रह की गंभीरता और वीरता को 14 मात्रा की ताल 'धमार' के साथ पेश किया गया। अगली प्रस्तुति में 'सोम' अर्थात श्रृंगार एवं शीतलता, वात्सल्य और मन के ग्रह 'चन्द्र' को 10 मात्रा की ताल झपताल के साथ तराना, सरगम, ख्याल का उपयोग करते हुए और वीर रस के ग्रह 'मंगल' को परणों का उपयोग कर प्रस्तुत किया गया। इसी प्रकार 'बुध' ग्रह को लुभावने गत निकास और अध्यात्म, बुद्धि और समृद्धि के ग्रह 'गुरु' की कबीर के भजन 'बंदे करले आप निबेरा' पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुति देखने योग्य थी। कार्यक्रम के अंत में सौन्दर्य एवं श्रृंगार के ग्रह 'शुक्र' को चिंतामणी कवि की ठुमरी और 'शनि' ग्रह को कथक की तिहाइयों एवं टुकडों का उपयोग बेहद खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम में नृत्य करने वाले कलाकारों में स्वयं प्रेरणा श्रीमाली के अतिरिक्त उनकी शिष्याएं वीना वनमाली, आरती श्रीवास्तव गेडाम, निष्ठा बुधलाकोटी, सोनम चौहान एवं सोमी विश्वास शामिल थे।
कार्यक्रम में शुभा मुद्गल का संगीत था जबकि संकल्पना, अनुसंधान एवं आलेख बृजेंद्र रेही का था। वेशभूषा डिजाइन का कार्य माधवी मुद्गल ने किया। प्रकाश व्यवस्था शरद कुलश्रेष्ठ ने संभाली।
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